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बुधवार, 9 सितंबर 2009

हम कब तक अपराधियों को महिमा मंडित करते रहेंगे और नयी पीढी के लिए क्या यही सन्देश है ?

इस पोस्ट को यहाँ से हटा दिया गया है क्योंकि यह इस ब्लॉग की प्रकृति से मेल नहीं खाती थी।
यह पोस्ट अभी हमने दस्तावेज़ ब्लॉग
पर प्रकाशित कर दी है।

आशा है आप अन्यथा नहीं लेंगे।
आप सभी से बारम्बार आग्रह है कि ब्लॉग पर इस प्रकार की रचनाएं पोस्ट करें जो आपके जीवन में घटित किसी भी घटना, स्थिति से उपजे पहले एहसास की याद दिलाती हो।

कृपया एक बात को बार बार हमसे कहलवा कर हमें शर्मिंदा न करें। आप सभी अनुभव में हमसे बड़े हैं, कृपया सहयोग करें। ब्लॉग की प्रकृति से मेल खाती रचनाएँ ही पोस्ट करें।

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